Wednesday, April 30, 2014

अणु की कहानी

ब्रह्माण्ड के विस्तार में, अणु की कहानी खो गई ।
कितने अणु हैं मिट गए, गुम उनकी वाणी हो गई ॥

पर ये अणु आये कहाँ से, गुम किधर ये हो गए ।
क्यूँ ये अचानक जाग कर के, फिर अचानक सो गए ॥

कुछ अणु मिलकर बड़े, रोशन सितारे हो गए ।
कुछ सितारे टूट कर, अणु ढेर सारे हो गए ॥

जिस खोज में ये भटकते, वह लक्ष्य इनका है कहाँ ।
आरम्भ जिसका है नहीं, हो अंत उसका फिर कहाँ ॥

क्या जानते हैं ये अणु, और जान कर के मस्त हैं ।
अथवा नहीं हैं जानते, और भय से ये भी त्रस्त हैं ॥

सीख ली है नृत्य की, अणु ने कहाँ से क्या पता ।
ब्रह्माण्ड में है राज कितने, कौन है सकता बता ॥

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