Sunday, February 23, 2014

हे मातृभूमि

हे मातृभूमि, हे जन्मभूमि, अनुपम तुझसे यह नाता है ।
तेरी रज को अपने शीश लगा, तेरा लाल परम सुख पाता है ॥

हे देवभूमि, हे पुण्यभूमि, तेरे चरणों में वंदन है ।
तेरी सुगंध है जीवन में, तुझे कोटि कोटि अभिनन्दन है ॥

हे दिव्यभूमि, हे कर्मभूमि, तुझसे ही जीवन में रस है ।
तू अक्षय स्रोत प्रेरणा का, तेरी प्रसन्नता में यश है ॥

हे कृपामूर्ति, हे दयामूर्ति, उपकार हैं माँ अगणित मुझ पर ।
तेरी सेवा ध्येय है जीवन का, तेरा ऋण न चुका सकता अणु भर ॥

5 comments:

  1. jai matribhumi jai karmbhumi
    varambaar pranaam tujhe..

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  2. श्यामेन्द्र जी क्या मैं आपकी कविता का प्रयोग गीत बनाने के लिए कर सकता हूँ? मैं इस गीत को संगीत देना चाहता हूं।

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  3. Are bhai marathi me likhne ko kya ho gaya tha

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