समय चुनाव का निकट है मित्रों, सभी सुनाते अपने गीत ॥
कुर्ता पहने नजर हैं आते, अन्य दिवस जो पहने कोट ।
मैं तो सेवक, दास आपका, दे दो मुझको अपना वोट ॥
पाँच वर्ष मैं कार्य करूँगा, यह लो पाँच सौ रुपये का नोट ।
लोकतन्त्र का मूल्य चुकाया, मुझे ही देना अपना वोट ॥
बिजली नहीं है, सड़क पे गड्ढे, नल तो है पर नीर नहीं ।
मुझे जिता दो, मैं कर दूँगा, मुझ जैसा कोई वीर नहीं ॥
पर्चों से भर गई दिवारें, जिधर भी देखें नजर वो आते ।
नए वर्ष की बहुत बधाई, पोस्टर से नेता मुस्काते ॥
झंडे फहरे ऊँचे भवन पर, झोंपड़ियों में भी दिख जाते।
नेता दिखते भाषण करते, घर गरीब के रोटी खाते ॥
मुझको जोब दिला दो कुछ भी, वोट तुम्हें मैं देता हूँ ।
हँसी रोक नहीं पाते नेता, 'तुम्हें आश्वासन देता हूँ' ॥
पिछली बार वोट को लेकर, अन्तर्धान थे आप हुए ।
आपके दर्शन फिर से पाए, हम बड़भागी, कृतार्थ हुए ॥
पत्रकारों को भीतर लाओ, इनको 'मेवा मिठाई' खिलाओ ।
हमने जो पर्चे छापे हैं, समाचार में उन्हें दिखाओ ॥
दूसरे दल से टिकट है पाया, उसके विरुद्ध प्रचार करो ।
लिखो, भ्रष्ट है, अवसरवादी, स्टिंग आदि से वार करो ॥
ढोल बजाते, चलें समर्थक, नारे लोग लगाते हैं ।
माला पहने, घर घर जाकर, नेता हाथ मिलाते हैं ॥
लोकतंत्र की राह कठिन है, दिग्गज भी गिर जाते हैं ।
जिनको जनता मत देती है, महाराज बन जाते हैं ॥
हम पर है दायित्व बड़ा, हमें नीयत को पढ़ना होगा ।
देश की डोर हमारे हाथ है, सही चुनाव करना होगा ॥