Saturday, February 8, 2014

राहुल अर्णब संवाद

संसद के भीतर राहुल को जब, बीत गया था एक दशक ।
क्या है समर्थ कुछ करने में वह, लोगों के मन में था शक ॥

राहुल से हाथ मिला कर अर्णब, मन ही मन में मुस्काए ।
इतने दिन तक कहाँ थे बन्धु, याद अचानक हम आए ॥

प्रेस से मैं पहले भी मिला हूँ, टीवी पर है पहली बार ।
दल के भीतर कार्य हूँ करता, ध्यान उसी में लगा था यार ॥

कठिन विषय से तुम बचते हो, कहीं यह बात तो सत्य नहीं ।
कठिन विषय मुझको पसंद हैं, आपकी बात में तथ्य नहीं ॥

राहुल पहला प्रश्न तो यह है, पी एम पद से क्यों घबराते ।
सिस्टम तो एम पी चुनता है, एम पी चुनकर पी एम बनाते ॥

अपना पी एम घोषित करना, संसद राय को जाने बिना ।
नहीं लिखा यह संविधान में, इसीलिए नहीं हमने चुना ॥

लेकिन पिछली बार तो राहुल, घोषित तुमने किया ही था ।
तब तो पी एम पहले से था, परिवर्तन का प्रश्न न था ॥

कांग्रेसगण तो तुम्हें चुनेंगे, संशय किंचित इसमें नहीं ।
जो रीति है लोकतंत्र की, वही किया है जो है सही ॥

लेते निर्णय कई लोग जब, तब ही लोकतंत्र बढ़ता ।
संविधान में स्पष्ट लिखा है, उसी का मैं आदर करता ॥

लोगों का कहना है राहुल, मोदी से डरते हो तुम ।
हार के भय से व्याकुल होकर, करते नहीं सामना तुम ॥

मोदी से भिड़ना नहीं चाहते, कहीं पराजय ना हो जाय ।
कांग्रेस के दिन ठीक नहीं हैं, लोगों की है ऐसी राय ॥

इसका उत्तर समझने हेतु, समझना होगा राहुल को ।
राहुल के दिन कैसे कटे हैं, भय किस बात का है उसको ॥

जब छोटे बच्चे थे, अर्नब, तब सोचा होगा तुमने ।
'मैं भी कुछ करना चाहता हूँ', पत्रकार पर तुम क्यों बने ॥

मुझसे ही तुम प्रश्न हो करते, पत्रकारिता मुझे प्रिय है ।
उत्तर मेरे प्रश्न का दो तुम, मोदी से लगता भय है ?

प्रश्न का उत्तर अवश्य दूँगा, पर पूछा है कुछ मैंने ।
क्यों देखे थे छोटी आयु में, पत्रकारिता के सपने ॥

सोचा पत्रकार बनना है, आधा अधूरा क्या बनना ।
राहुल तुम हो राजनीति में, आधा नेता क्या बनना ॥

तुमने उत्तर नहीं दिया है, अर्नब, पर मैं देता हूँ ।
कैसे सोचता राहुल गांधी, परिचय उसका देता हूँ ॥

बालक था मैं, मेरे पिता को, राजनीति में आना पड़ा ।
इस सिस्टम से लड़ते रहे वे, प्राण भी अपने गँवाना पड़ा ॥

दादी जेल में जाती देखी, मृत्यु भी देखी उसकी ।
खोया, जिसके खोने का भय, अब मुझको भय तनिक नहीं ॥

मेरा एक इरादा यही है, मेरे हृदय की पीड़ा है ।
अर्जुन की दृष्टि की भांति, ध्येय यही बस मेरा है ॥

मुझको केवल यह दिखता है, सिस्टम में परिवर्तन हो ।
मोदी आदि गौण विषय हैं, आवश्यक नहीं कि वर्णन हो ॥

[This is based on first few minutes of Rahul's Interview with Arnab]

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