हे मातृभूमि, हे जन्मभूमि, अनुपम तुझसे यह नाता है ।
तेरी रज को अपने शीश लगा, तेरा लाल परम सुख पाता है ॥
हे देवभूमि, हे पुण्यभूमि, तेरे चरणों में वंदन है ।
तेरी सुगंध है जीवन में, तुझे कोटि कोटि अभिनन्दन है ॥
हे दिव्यभूमि, हे कर्मभूमि, तुझसे ही जीवन में रस है ।
तू अक्षय स्रोत प्रेरणा का, तेरी प्रसन्नता में यश है ॥
हे कृपामूर्ति, हे दयामूर्ति, उपकार हैं माँ अगणित मुझ पर ।
तेरी सेवा ध्येय है जीवन का, तेरा ऋण न चुका सकता अणु भर ॥
jai matribhumi jai karmbhumi
ReplyDeletevarambaar pranaam tujhe..
श्यामेन्द्र जी क्या मैं आपकी कविता का प्रयोग गीत बनाने के लिए कर सकता हूँ? मैं इस गीत को संगीत देना चाहता हूं।
ReplyDeleteYes, go ahead.
DeleteAre bhai marathi me likhne ko kya ho gaya tha
ReplyDeleteSlots - Casino and Resort Spa - JTM Hub
ReplyDeleteYour 평택 출장마사지 favorite casino and resort 거제 출장안마 spa in Mississippi - 충청북도 출장마사지 our newest casino 경기도 출장마사지 floor offers 25-table gaming and table games including Blackjack, Roulette, Video 포항 출장마사지 Poker and