अदभुत कविता अदभुत रचना लोगों ने कई 'वाह' दिए । पुरस्कार में मफलर पाकर मैंने मूँछ पे ताव दिए ।। क्या यह तुमने ही लिखी है मित्र गणों ने किया सवाल । यह भारत भूमि है बन्धु किसी की मेहनत किसी को माल ।। दोस्त तेरी कविता की भाषा मुझे समझ नहीं आई । मातृभाषा अपनी पढ़ने में होती है अब कठिनाई ।। कोशिश सरल शब्द चुनने की कवि ने की है इस बारी । अभिनन्दन है आप सभी का मैं हूँ आपका आभारी ।। -- श्यामेंद्र सोलंकी
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