Saturday, January 5, 2013

आभार

      
   
           अदभुत कविता अदभुत रचना 
                लोगों ने कई 'वाह' दिए ।
           पुरस्कार में मफलर पाकर 
                मैंने मूँछ पे ताव दिए ।।

           क्या यह तुमने ही लिखी है 
                मित्र गणों ने किया सवाल ।
           यह भारत भूमि है बन्धु 
                किसी की मेहनत किसी को माल ।।

           दोस्त तेरी कविता की भाषा 
                मुझे समझ नहीं आई ।
           मातृभाषा अपनी पढ़ने में 
                होती है अब कठिनाई ।।

           कोशिश सरल शब्द चुनने की 
                कवि ने की है इस बारी ।
           अभिनन्दन है आप सभी का 
                मैं हूँ आपका आभारी ।।

                    -- श्यामेंद्र सोलंकी 

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