संसद के भीतर राहुल को जब, बीत गया था एक दशक ।
क्या है समर्थ कुछ करने में वह, लोगों के मन में था शक ॥
राहुल से हाथ मिला कर अर्णब, मन ही मन में मुस्काए ।
इतने दिन तक कहाँ थे बन्धु, याद अचानक हम आए ॥
प्रेस से मैं पहले भी मिला हूँ, टीवी पर है पहली बार ।
दल के भीतर कार्य हूँ करता, ध्यान उसी में लगा था यार ॥
कठिन विषय से तुम बचते हो, कहीं यह बात तो सत्य नहीं ।
कठिन विषय मुझको पसंद हैं, आपकी बात में तथ्य नहीं ॥
राहुल पहला प्रश्न तो यह है, पी एम पद से क्यों घबराते ।
सिस्टम तो एम पी चुनता है, एम पी चुनकर पी एम बनाते ॥
अपना पी एम घोषित करना, संसद राय को जाने बिना ।
नहीं लिखा यह संविधान में, इसीलिए नहीं हमने चुना ॥
लेकिन पिछली बार तो राहुल, घोषित तुमने किया ही था ।
तब तो पी एम पहले से था, परिवर्तन का प्रश्न न था ॥
कांग्रेसगण तो तुम्हें चुनेंगे, संशय किंचित इसमें नहीं ।
जो रीति है लोकतंत्र की, वही किया है जो है सही ॥
लेते निर्णय कई लोग जब, तब ही लोकतंत्र बढ़ता ।
संविधान में स्पष्ट लिखा है, उसी का मैं आदर करता ॥
लोगों का कहना है राहुल, मोदी से डरते हो तुम ।
हार के भय से व्याकुल होकर, करते नहीं सामना तुम ॥
मोदी से भिड़ना नहीं चाहते, कहीं पराजय ना हो जाय ।
कांग्रेस के दिन ठीक नहीं हैं, लोगों की है ऐसी राय ॥
इसका उत्तर समझने हेतु, समझना होगा राहुल को ।
राहुल के दिन कैसे कटे हैं, भय किस बात का है उसको ॥
जब छोटे बच्चे थे, अर्नब, तब सोचा होगा तुमने ।
'मैं भी कुछ करना चाहता हूँ', पत्रकार पर तुम क्यों बने ॥
मुझसे ही तुम प्रश्न हो करते, पत्रकारिता मुझे प्रिय है ।
उत्तर मेरे प्रश्न का दो तुम, मोदी से लगता भय है ?
प्रश्न का उत्तर अवश्य दूँगा, पर पूछा है कुछ मैंने ।
क्यों देखे थे छोटी आयु में, पत्रकारिता के सपने ॥
सोचा पत्रकार बनना है, आधा अधूरा क्या बनना ।
राहुल तुम हो राजनीति में, आधा नेता क्या बनना ॥
तुमने उत्तर नहीं दिया है, अर्नब, पर मैं देता हूँ ।
कैसे सोचता राहुल गांधी, परिचय उसका देता हूँ ॥
बालक था मैं, मेरे पिता को, राजनीति में आना पड़ा ।
इस सिस्टम से लड़ते रहे वे, प्राण भी अपने गँवाना पड़ा ॥
दादी जेल में जाती देखी, मृत्यु भी देखी उसकी ।
खोया, जिसके खोने का भय, अब मुझको भय तनिक नहीं ॥
मेरा एक इरादा यही है, मेरे हृदय की पीड़ा है ।
अर्जुन की दृष्टि की भांति, ध्येय यही बस मेरा है ॥
मुझको केवल यह दिखता है, सिस्टम में परिवर्तन हो ।
मोदी आदि गौण विषय हैं, आवश्यक नहीं कि वर्णन हो ॥
[This is based on first few minutes of Rahul's Interview with Arnab]
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